तू खुद की खोज में निकल, तू किसलिए हताश है। TU KHUD KI KHOJ MEI NIKAL
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तू खुद की खोज में निकल, तू किसलिए हताश है। TU KHUD KI KHOJ MEI NIKAL | THIS IS A POEM OF HINDI MOVIE "PINK" This poem is dedicated to the unique work of Honorable Prime Minister | भारत इतिहास सदियों पुराना हैं। भले ही कोई कितनी ही Bharat ki जनम Patrika Bana दे पर भारत वर्ष समस्त धरा पर अकेला राष्ट्र था , इसके बाद दूसरे राष्ट्रों की उत्पति हुई।
गन्दी राज नीति और गुलाम परस्ती ने इस देश को बहुत नुक्सान पहुंचाया। ग़ुलाम बनानेवाली विचार धारा और दुष्प्रचार ने भारत को गुलाम बनाया। चंद लालची और मक़्क़ार जय चंदो ने ही भारत का विभाजन किया था।
कल और आज में बस इतना ही फ़र्क़ है। बीते कल में राजाओ ने प्रांतीय दुश्मनी का हल गद्दार मुग़लो से चाहा और आज गन्दी राजनीती के खिलाडी वाम पंथी विचार धरा के तलवे चाट रहे है।
छोडो कल की बाते , कल की बात पुरानी , हम कितने बेचारे थे ये भुल् जायेगे
पर अब शौर्य जाग रहा है, भारत जाग रहा है। क्यों की अबतक जो भेड़ बकरियों के झुण्ड में रहने के आदि थे अचानक कोई शेर ने आकर हमे जगाया -अरे ओ भारत के नर सिंहो उठो ! और तुम भेड़ बकरी होने के वहम को झटक दो। एक बार दहाड़ कर तो देखो , ये सभी वामपंथी भेड़ दुम दबाकर भाग जायेगे।
आजकी ये कविता भारत के शेर कहे जानेवाले प्रधानमंत्री के नाम समर्पित हैं जिन्होंने हमे गौरव से जीना सिखाया
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